फांस सी चुभन कोई
और सवाल कितने बेरहम
कि जबाब हुए कील से
और शब्द-शब्द एक सितम
प्रीत गर राधा हुई
कृष्ण बनेंगे प्रियतम
खंजरों की नोक पे
शहद की एक परत चढ़ी
बिन पिया के ही सखी
प्रीतिमय ज़िन्दगी रंगी रही।
फांस सी चुभन कोई
और सवाल कितने बेरहम
कि जबाब हुए कील से
और शब्द-शब्द एक सितम
प्रीत गर राधा हुई
कृष्ण बनेंगे प्रियतम
खंजरों की नोक पे
शहद की एक परत चढ़ी
बिन पिया के ही सखी
प्रीतिमय ज़िन्दगी रंगी रही।