अतिथि सत्कार में कोई
डूब जाता है तो कोई
कन्नी काट जाता है
ऐसे ही एक मित्र ने
अपनी सेवानिवृत्ति के समय
अनौपचारिक स्नेह मिलन
मदिरा संध्या का
आयोजन कर डाला
लगे हाथ अपने ईष्ट मित्रों को
बुला डाला
मध्य रात्रि तक मदिरा पान
चलता रहा
पूरा मंडल भोजन का
इंतज़ार करता रहा
और
वो ऐसा ढींठ निकला
कि न ली उसने
भोजन की सुध
केवल राम लड्डू खिलाता
रहा, मदिरा का सेवन
कराता रहा
चाहे कोई लुढ़के
उसकी बला से
उसे क्या ?
क्यों होते हैं ऐसे लोग
जो जानते नहीं शिष्टाचार
व्यवहार !
पृथ्वीराज मोंगा को समर्पित !