Last modified on 26 मई 2020, at 06:36

पीछा / पॉल एल्युआर / अनिल जनविजय

नीले या गुलाबी महल में लागाकर घात
अन्धेरे विशाल कमरों में वो पीछा कर रहा है
खम्भों के बीच चमक रही है काली रात
फ़ानूसों के पीछे से घना अन्धेरा झर रहा है

सब कुछ कर सकती है रात
कर सकती है वो कैसा भी आघात

अब तय करना है कि क्या मैं हूँ हत्यारा
या हूँ वह मृतक जो आज जाएगा मारा
                       
रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय