यह जिन्दगी विभाजित है
टुकड़ों - टुकड़ों में
जबकि हम सोचते हैं, यह एक है
जो अभी जिया, वो थोड़ी देर बाद नहीं
कल नहीं, परसों नहीं, कभी नहीं
मुझे जो दिया गया है मौका प्रकृति ने
उसे आगे देखने को बढ़ाता हूँ कदम,
शेष रह जाता है कुछ भी नहीं ।
यह जिन्दगी विभाजित है
टुकड़ों - टुकड़ों में
जबकि हम सोचते हैं, यह एक है
जो अभी जिया, वो थोड़ी देर बाद नहीं
कल नहीं, परसों नहीं, कभी नहीं
मुझे जो दिया गया है मौका प्रकृति ने
उसे आगे देखने को बढ़ाता हूँ कदम,
शेष रह जाता है कुछ भी नहीं ।