पीठिका में
उठती हुई सिम्फ़नी
सिन्धु-सी रोशनी
कक्ष का दोलना ।
डूबना डूबना डूबना
दृष्टि में
नीलिमा नीलिमा नीलिमा घोलना ।
देह को चालती-सी नसों का
किसी चेतना में
कृमि-कीट-सा डोलना ।
वक्ष में मौन से प्यार का
देह में
वस्त्र का नित्य नया मुँह खोलना ।