सिर्फ़ एक बार पलट कर पीछे देख लेने दो
यवनिका से
कुछ पता नहीं चल रहा
खखूरता मैं राख
टपटप
खडाऊं स्वर
टिमटिमाएंगे कभी
अबूझ संकेत बने जीवन के
सिर्फ़ एक बार पलट कर पीछे देख लेने दो
यवनिका से
कुछ पता नहीं चल रहा
खखूरता मैं राख
टपटप
खडाऊं स्वर
टिमटिमाएंगे कभी
अबूझ संकेत बने जीवन के