शंख फूंकता रहा हमें
.--रूह का क़ातिल
अनाम
अन्यत्र से
एक स्वप्न की तरह ऐन्द्रजालिक
वह अपना रहस्य बनाये रखती है
.--मृत्यु
प्रकृति का ऋण है
शंख फूंकता रहा हमें
.--रूह का क़ातिल
अनाम
अन्यत्र से
एक स्वप्न की तरह ऐन्द्रजालिक
वह अपना रहस्य बनाये रखती है
.--मृत्यु
प्रकृति का ऋण है