पीठ पर मेरी भार
गर्भ में मेरे एक प्रकाश ।
अब मुझ में रहो,
उगाओ जड़ें ।
जब तुम हो उपरिवत
मुझे हो रहा है भान
विजयी व गर्वित होने का
मानो तुम्हें बाहर निकाल रही हूँ मैं
घेराबंदी से घिरे शहर के बहिरंग ।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह