मथ‘र
मन रो
समन्दर
काढयो
सबद रै
घड़ै में
पीड़ रो
अमरित,
कोनी
भाज्या लारै
देवता‘र राकस
जाणै इण
संजीवण रो
सुवाद
खाली मिनख री
संवेदना !
मथ‘र
मन रो
समन्दर
काढयो
सबद रै
घड़ै में
पीड़ रो
अमरित,
कोनी
भाज्या लारै
देवता‘र राकस
जाणै इण
संजीवण रो
सुवाद
खाली मिनख री
संवेदना !