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पीले अखबार / शिवबहादुर सिंह भदौरिया

स्याह रात का
जो कुछ अज्ञात है
उससे बनाकर-
ताजे समाचार,
दरवाजा खुलते ही
सबेरा
फेंक जाता है-
पीले अखबार।