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पी० टी० ऊषा / वीरेन डंगवाल

काली तरुण हिरनी
अपनी लम्बी चपल टाँगों पर
उड़ती है
मेरे ग़रीब देश की बेटी

ऑंखों की चमक में जीवित है अभी
भूख को पहचानने वाली विनम्रता
इसीलिए चेहरे पर नहीं है
सुनील गावस्कर की छटा

मत बैठना पी० टी० ऊषा
इनाम में मिली उस मारुति कार पर मन में भी इतराते हुए
बल्कि हवाई जहाज़ में जाओ
तो पैर भी रख लेना गद्दी पर

खाते हुए मुँह से चपचप की आवाज़ होती है ?
कोई ग़म नहीं
वे जो मानते हैं बेआवाज़ जबड़े को सभ्यता
दुनिया के
सबसे ख़तरनाक खाऊ लोग हैं !