Last modified on 26 जनवरी 2010, at 20:50

पुरानी यादें-5 / मनीषा पांडेय

पुराने छोटे पड़ गए कपड़ों की तरह
बंद कर किसी जंग खाए संदूक में
पुरानी यादों को
कहीं दूर छोड़ आऊँ
इतनी दूर
कि पहचानकर मेरा संदूक
कोई वापस न छोड़ जाए मेरे दरवाज़े