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पुरानी यादें / लालित्य ललित


अक्सर
बड़े लेखक भी
छुपाए रहते हैं वे
तमाम प्रेम -
के क्षण !
जिनमें वे रमे थे
किसी के साथ
कहीं एकांत में
हंसे थे
और अब
वे पल नहीं हैं
मात्र स्मृतियां हैं
जिन पर ठहरा
जा सकता है
महसूस किया जा सकता है
अरे ! आप भी
शरमाने लगे हैं !
लगता है
कहीं से कोई छुअन का
एहसास
कुरेदने लगा है
अचानक तेज
हवा का झोंका आया
और अपने साथ बाहर से
अनगिनत पीले पत्ते ले आया
ये ही पीले पत्ते थे
जहां बिताये थे जीवन के
वो पल
कहां चले गये
किधर चले गये
अतीत में खोया लेखक
अपने प्रेम को ढूंढता हुआ
आप कहां खो गये
अतीत में
अरे ! इत्ते पीले पते -
यहां भी आ गये
शायद खिड़की खुली रह गई।