तुम्हारा दिल
तजल्लियों के तूर की ज़िया से
आगही तलक
रियाज़तों के नूर में गुँधा हुआ
अमानतों के बार से दबा हुआ
तुम्हारी रूह के लतीफ़ आईने में
अपना अक्स ढूँडने
अक़ीदतों की गर्द से अटी हुई
अना के पुल-सिरात से ग़ुज़र के आ रही हूँ मैं
तुम्हारा दिल
तजल्लियों के तूर की ज़िया से
आगही तलक
रियाज़तों के नूर में गुँधा हुआ
अमानतों के बार से दबा हुआ
तुम्हारी रूह के लतीफ़ आईने में
अपना अक्स ढूँडने
अक़ीदतों की गर्द से अटी हुई
अना के पुल-सिरात से ग़ुज़र के आ रही हूँ मैं