(अेक कवि रै झुरावै)
ओक्ताविओ1
अपां कदैई नीं मिळिया कठैई
पण म्हनै थारै माथै कविता
मांडणी चाहीजै के नीं?
म्हैं नीं पूछूं
कित्तौ बेतुकौ, अदवीठौ अर फालतू व्है
औ पूछणौ
के म्युरल बण जावण सूं पैली
अेक कवि नै
कांईं ठाळ लेवणी चाहीजै अैड़ी ठौड़
जठै जाझी सांयत बसै?
म्हैं नीं पूछूं
मौत रौ किरमची पिरामिडी टोप ओढ्यां
थूं काल करतां
आज बेसी फबै है
कवि-भायला,
राजी-रमळी मुद्रा में ई लागै
दीसै आज नवी कविता मांडैला
पण किण भासा में?
औ पूछणौ दोरौ
म्हैं नीं पूछूं
कवि नै
कांईं कवितावां में विसै बदळण री ज्यूं
कदैई-कदैई भासा ई बदळणी चाहीजै
अर आपरौ खोळ्यौ ई
म्है नीं पूछूं
कवि नै
कांई कवितावां में विसै बदळण री ज्यूं
कदैई-कदैई भासा ई बदळणी चाहीजै
अर आपरौ खोळ्यौ ई
म्हैं नीं पूछूं
आपरै घरै हल्लाणौ करण सूं पैली
बिरांणौ बण रैवण सूं पैली
कांईं कवि नै पुचकारणी चाहीजै
आपरी अणरचीजी रचनावां नै
म्हैं नीं पूछूं
उडीक रै धांमलै बैठौ
म्हैं पूछूं
पाछौ कद आवैला
थूं कविता रौ राजदूत बण
इण बच्योड़ी इळा माथै?
1.नोबेल पुरस्कार सूं इनामीज्या आक्तोवियो पॉज, मैक्सिको में जलम्योड़ा चावा अर ठावा कवि। जिका 1962-68 तांई भारत में आपरै देस मैक्सिको रा राजदूत रह्या