मैथिली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पूजा लऽकऽ नरूपिया
मोरंग से चलि देलकै महिसौथामे
हौ भागल देवता कोशी लग जुमै छै
आ कोशिका मैया ठाढ़ भऽ गयलै
बुढ़िया रूप मैया कोशी धरलकै
हौ मोतीराम के अरजी करै छै
सुनियौ सुनियौ बौआ हौ बौआ मोतीराम
दिल के वार्त्ता तोरा कहै छी
हौ तोरो वचनियाँ हमहुँ केलीयै
सुखले नदी पार उतारली
हमर शरणीया बौआ लगौलही
केना गुजरबा हमहु करबै यौ।
मोतीराम के दया उबजलै
तीन आ डेग नापि दै छै
सुन गै कोशिका तोरा कहै छी
तीन डेग प्रेमी हौ तीन कोश भऽ गेल
आ तीन कोश डेग कोशीके दै छै
तखनी जवाब मोतीराम देलकै
सुनऽ गे कोशिका दिल के वार्त्ता
गै एहि से पुरूष कोशिका लीहै
एहि से पछिम कोशिका लीहै
तीन कोशमे कोशी कहियै
सतयुग छीयै गै कलयुग एलै
तोहर नाम कोशीमे चलतै
अपन परमान मैया कोशिका लऽले
सब जल-फूल कोशिका तोरा चढ़ौतौ गै।।