Last modified on 15 अक्टूबर 2013, at 11:48

पूरण होवण री आस / अर्जुनदेव चारण

थूं ऊभी थिर पूतळी
हंसण
रमण
बधण सूं
कोसां आंतरै
ऊंचायां
किचरीजियोड़ी देह
चाखती खार
सागर रौ
पार होवण रा
सपना पूजती
टाळ में
सिन्दूर घाल
टोळी सूं टळियोड़ी
पूरण होवण री आस
देखती रैवै
काळ अर भरम रौ
बाथेड़ौ
थारी आस
नीं मावै
थारी हथाळियां
नीं चाखै
थारा होठ
उणरौ सुवाद

समदर री छाती
ऊग जावै
भाखर
काळा आखरां रौ
फगत ओ ई है
थारौ अनागत ई ओ है