ओझल हुआ ख़ास
उम्र हुई उदास
हंसी का बढ़ा दाम
अब पूर्ण विराम ।
पंछी बोले शोर
चुभने लगा भोर
नियति का है काम
हो दान, पूर्ण विराम ।
दर्द की है धुन
कर्म रहा सुन
जाऊँ,कौनो धाम
जहाँ, पूर्ण विराम ।
ओझल हुआ ख़ास
उम्र हुई उदास
हंसी का बढ़ा दाम
अब पूर्ण विराम ।
पंछी बोले शोर
चुभने लगा भोर
नियति का है काम
हो दान, पूर्ण विराम ।
दर्द की है धुन
कर्म रहा सुन
जाऊँ,कौनो धाम
जहाँ, पूर्ण विराम ।