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पेज थ्री / कृष्ण कुमार यादव

मँहगी गाड़ियों और वातानुकूलित कक्षों में बैठ
वे जीते हैं एक अलग ज़िन्दगी
जब सारी दुनिया सो रही होती है
तब आरम्भ होती है उनकी सुबह
रंग-बिरंगी लाइटों और संगीत के बीच
पैग से पैग टकराते
अगले दिन के अख़बारों में
पेज थ्री की सुर्खियाँ
बनते हैं ये लोग

देर शाम किसी चैरिटी प्रोग्राम में
भारी-भरकम चेक देते हुए और
मंत्रियों के साथ फोटो खिंचवाते हुए
तैयार कर रहे होते हैं
राजनीति में आने की सीढ़ियाँ

सुबह से शाम तक
कई देशों की सैर करते
कर रहे होते हैं डीलिंग
अपने लैपटॉप के सहारे
वे नहीं जाते
किसी मंदिर या मस्जिद में
कर लेते हैं ईश्वर का दर्शन
अपने लैपटॉप पर ही
और चढ़ा देते हैं चढ़ावा
क्रेडिट-कार्ड के जरिये

सुर्खियाँ बनती हैं
उनकी हर बात
और दौड़ता है
मीडिया का हुजूम उनकी पीछे
क्योंकि
तय करते हैं वे
सेंसेक्स का भविष्य

पर्दे के पीछे से करते हैं
सरकारों के भविष्य का फैसला
बनती है आकर्षण का केन्द्र-बिंदु
सार्वजनिक स्थलों पर उनकी मौजूदगी
और इसलिए वे औरों से अलग हैं ।