हाँलाकि,
नही लिखना चाहिये
कुछ भी अब
उसके बारे मे...
पूरे
बीस पेज पलटने होंगे
उस दसवेँ पेज में
पहुँचने के लिये...
फिर,
एक प्रश्न चिन्ह लगेगा
और,
तब तुम भी सवाल करोगी
मुझसे...
कि,
कहाँ गये बीच के
सत्रह, अट्ठारह पेज...
अब तो एक धुन्धली
आउट लाइन बन चुकी है
वह,
मेरे कैनवस की...
आज अरसे के बाद
इन लकीरों को
गाढा करने की कोशिश
करते वक्त
मेरे हाँथ काँप रहे थे...