औझे ने बताया
और मैंने
ठोक दी
तुम्हारे तन पर
कील
केवल
अपनी ज़ाड़ की
पुरानी पीड़ से
मुक्ती के लिए ।
पेड़ !
मेरी पीड़ तो
अभी भी है
अपनी सुनाओ !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"
औझे ने बताया
और मैंने
ठोक दी
तुम्हारे तन पर
कील
केवल
अपनी ज़ाड़ की
पुरानी पीड़ से
मुक्ती के लिए ।
पेड़ !
मेरी पीड़ तो
अभी भी है
अपनी सुनाओ !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"