Last modified on 18 जुलाई 2010, at 04:31

पेड़-३ / ओम पुरोहित ‘कागद’

पेड़
तपता है
धूप में
जपता है
पानी !

ज़ड़ों में
सहेजता है
पीड़ की
अकथ
कहानी !

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"