क़लम से रोपे गए हैं
काग़ज़ पर !
ख़ूब मचल रहे हैं
झूम रहे हैं पेड़
रिपोर्टों में
आँकड़ों में !
पेड़ों की छटा
क्या ख़ूब फब रही है
फ़ाइलों में !
पेड़ आज कितने ख़ुश हैं
काग़ज़ पर होकर सुरक्षित
और बचकर
शीत से
धूप से
आँधियों से
बवंडरों से
पर, क्या इन चुप पेड़ों का
फूटेगा कभी कंठ ?