एक पेड़ चहलकदमी करता हुआ बारिश में
धूसर बारिश में भागता है हमारे बगल से
एक काम है उसके पास वह जीवन एकत्र करता है
बारिश में से जैसे बाग में कोई श्यामा चिड़िया
पेड़ भी रुक जाता है बारिश रुकने पर
शांत खड़ा रहता है बिना बारिश वाली रातों में
और प्रतीक्षा करता रहता है जैसे हम करते रहते हैं
प्रतीक्षा, उस पल की
जब हिमकण खिलेंगे आकाश में
(अनुवाद : मनोज पटेल)