पेड़ कट गया।
जबकि मैं अब भी ज़िन्दा हूँ।
मेरी तरह
वह भी एक प्राणी था,
उसकी रगों में भी लहू दौड़ता था।
वह तब भी कट गया।
वह एक बूढ़ा पेड़ था,
लगभग एक ठूँठ।
वह ज़रा भी छाया नहीं देता था।
कोई पक्षी उस पर घोंसला नहीं बनाता था,
न ही रात को आकर कोई उस पर सोता था।
सब प्राणियों ने उसे अकेला छोड़ दिया था।
पर था तो वह एक पेड़ ही
जिसमें अभी जान थी।
उसे काट दिया गया।
वे खींचकर ले गए उसे।
जबकि मैं अब भी ज़िन्दा हूँ।
यह कितना विचित्र है कि एक बूढ़े पेड़ को सरेआम काट दिया गया
और किसी ने भी उस हत्या का विरोध नहीं किया।