जंगल खोदते हैं युवक
अंधेर के अंधेरे के,
पेड़ के पुरखे
जमीन में डाढ़ जैसे गड़े
हिलते-हिलते भी नहीं गिरते
रचनाकाल: २०-०२-१९७५
जंगल खोदते हैं युवक
अंधेर के अंधेरे के,
पेड़ के पुरखे
जमीन में डाढ़ जैसे गड़े
हिलते-हिलते भी नहीं गिरते
रचनाकाल: २०-०२-१९७५