हरे-हरे पत्तों वाला मैं,
पेड़ बहुत उपकारी!
हरी-भरी धरती है मुझसे,
मैं कितना हितकारी!
फूल-पत्तियों और फलों से,
है गुणकारी काया!
थककर राहगीर जब आते,
पाते ठंडी छाया!
पाकर खूब हवाएं ताज़ी,
चलती जीवन-धारा!
हमें काट क्यों लाते अपने,
जीवन में अंधियारा!