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पेद्रो की बाँसुरी / तेनजिन त्सुंदे

पेद्रो, पेद्रो
क्या है तुम्हारी बाँसुरी में ?
क्या एक नन्हा बच्चा जिसकी माँ खो गई है
और जो घूमता-फिरता है
शहर के गीले पत्थरों पर अपने नंगे पाँव पटकता हुआ ?

पेद्रो, पेद्रो
बताओ न क्या है तुम्हारी बाँसुरी में ?
क्या वह एक मुलायम कराह है
एक युवा लड़की की
सोलह की उम्र में गर्भवती, जिसे बाहर फेंक दिया गया घर से
जो अब रहती है एक पब्लिक पार्क में
शौचालयों के पीछे ?

हैरत कर रहा हूँ
तुम फूँक मारते हो प्लास्टिक-पाइप के ठूँठ में
और वह जीवित हो उठता है किसी बाँसुरी में
बिना आँख, कान या मुँह वाली
बजती हुई बाँसुरी,
अभी रोती हुई, अभी गाती
सीटियाँ जो बदल जाती हैं नन्हीं सुई जैसे बाणों में
बाण जो चुभते हैं
उल्लुओं तक के कानों में चुभते हैं
उल्लू जिनके कानों तक में बाल होते हैं ।

पेद्रो, पेद्रो
बताओ न क्या है तुम्हारी बाँसुरी में?
क्या खिड़की के कब्जों में वह सीटी
एक युवा लड़की का रुदन है ?
या उस नन्हे लड़के की साँसें
जो अब थक चुका है और सोया हुआ है
पुलिस स्टेशन में ?

पेद्रो, पेद्रो
बताओ न क्या है तुम्हारी बाँसुरी में ?
बहुत बाद में निर्वासन के दौरान, मैं उसे अब भी देख सकता हूँ।