पँवारी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
पेरो-पेरो सीता ओ श्रीराम
जनक जी सोहे दायजा हो।
दीन्हों-दीन्हों, घघरा को दीन्हों दान
जनक जी सोहे दायजा हो।।
कसेण्डी को दीन्हों दायजा हो।।
दीन्हों-दीन्हों लोटा को दान
जनक जी सोहे दायजा हो।।
गिलास को दीन्हों दान
गडु को दिन्हों दान (जनक जी)
दीन्हों-दीन्हों भयसी को दान
बगार को दीन्हों दान
जनक जी सोहे दायजा हो।।