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पैगाम / तुलसी पिल्लई

अकारण ही
जो खुशहाली
अपने मार्ग से
भटक गई थी
मेरी ओर आते-आते
और मैं हो गई बैचेन
मुझे कागा का
पैगाम मिला है
अभी-अभी
उसने सीधा रास्ता पकड़ा है
  
जिस वृक्ष की
जड़ो को
प्रेम-जल से
सींचा न हो
और वो भीतर से
ठूँठ बना हो
भला वह छाया क्या देगा?
     
अकारण ही
उसकी स्नेहिल छाया
अपने मार्ग से
भटक गई थी
मेरी ओर आते-आते
और मैं हो गई बैचेन
मुझे कागा का
पैगाम मिला है
अभी-अभी
प्रेममय-सावन ने
उस वृक्ष को
पोषित किया है
और उसकी छाया ने
सीधा रास्ता पकड़ा है।