जिंदगी के पोस्टऑफिस में
खाते के लिए
नहीं चाहिए आधारकार्ड
दिन का डाकिया
रखता है हिसाब-किताब
दिल की खुली खिड़की में
दिखता है उम्मीदों का बहीखाता
सपनों का मनीऑर्डर
बस
वक्त की मुहर ज़रूरी है।
जिंदगी के पोस्टऑफिस में
खाते के लिए
नहीं चाहिए आधारकार्ड
दिन का डाकिया
रखता है हिसाब-किताब
दिल की खुली खिड़की में
दिखता है उम्मीदों का बहीखाता
सपनों का मनीऑर्डर
बस
वक्त की मुहर ज़रूरी है।