सारी रात पिछवाड़े की
ज़मीन कराहती रही
लेती रही करवटें
उसकी चिन्ता में
सोया नहीं घर
होता रहा अंदर-बाहर
और अगले ही दिन
पहले-पहल सूरज की किरणें
दौड़ पड़ी चिड़ियों के सहगान में
जच्चा गातीं
उसकी गोद में मचलते
पौधे की किलकारियाँ सुन...!
सारी रात पिछवाड़े की
ज़मीन कराहती रही
लेती रही करवटें
उसकी चिन्ता में
सोया नहीं घर
होता रहा अंदर-बाहर
और अगले ही दिन
पहले-पहल सूरज की किरणें
दौड़ पड़ी चिड़ियों के सहगान में
जच्चा गातीं
उसकी गोद में मचलते
पौधे की किलकारियाँ सुन...!