कोहरे ने लगाया
आपातकाल जारी है
और अमलतास पर ताले पड़े हैं
सलाख़ों-सी लंबी
अमलतास की चेतना शून्य
फलियों के सामने
काली टोपी पहनीं
ठिठुरती बुलबुलें गाती हैं
जनवरी के क्रांति गीत
वे ग्रीष्म को आज़ाद कराने आई हैं।
कोहरे ने लगाया
आपातकाल जारी है
और अमलतास पर ताले पड़े हैं
सलाख़ों-सी लंबी
अमलतास की चेतना शून्य
फलियों के सामने
काली टोपी पहनीं
ठिठुरती बुलबुलें गाती हैं
जनवरी के क्रांति गीत
वे ग्रीष्म को आज़ाद कराने आई हैं।