सबतै न्यारा सबतैं प्यारा झण्डा हमारा तिरंगा
तन मन धन सै इस पै कुर्बां ना होवण दयां बदरंगा
रंग केसरिया सबतैं ऊपर वीरता की सै निशानी
योद्धेय महासंघ था पहला गणराज्य सच्ची सै कहानी
कार्तिकेय न करी स्थापना रोहतक थी रजधानी
पांच गणराज्य ये कुल ब्रह्मवृत म्हं सबक याद जुबानी
थे कमाऊ योद्धा पर कदे न करते पहले झगड़ा दंगा
सबतै न्यारा सबतैं प्यारा झण्डा हमारा तिरंगा
दूसरा रंग सफेद, शांति का यो संदेशा देवैं
तन मं बल मन मं तप दुख सुख न हंस-हंस खेवैं
शील शांति सब्र संतोष सब संशय न हर लेवैं
शरीरबदल जा पर अमर आत्मा कर्म के रस में भेवै
धर्म की खातर प्राण भी त्यागां जब सहम लेवै कोए पंगा
सबतै न्यारा सबतैं प्यारा झण्डा हमारा तिरंगा
रंग हरया मन मैं हर्षावै अड़ै सदा रहै खुशहाली
अमन और तरक्की पसन्द सो कदे ना बैठां ठाली
सीमा ऊपर अड़ै सूरमां दबकै खेत कमावै हाली
आंच देश पै ना आवण दयां इस चमन के हम रखवाली
सदा चहल पहल रहै देश म्हारे मं बहै प्यार की गंगा
सबतै न्यारा सबतैं प्यारा झण्डा हमारा तिरंगा
तन मन धन सै इस पै कुर्बां ना होवण दयां बदरंगा