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प्यार / ऋषभ देव शर्मा

उस दिन मैंने फूल को छुआ
सहलाया और सूँघा,
हर दिन की तरह
उसकी पंखुड़ियों को नहीं नोंचा।

उस दिन पहली बार मैंने सोचा
फूल को कैसा लगता होगा
जब हम नोंचते हैं
उसकी एक –एक पंखुड़ी!

तब मैंने फूल को
फिर छुआ
फिर सहलाया
फिर सूँघा ...

और मुझे लगा

हवाएं महक उठीं
प्यार की खुशबू से ।