प्यार कहीं पत्थर के भीतर है जमा हुआ,
सदियों से छिपा हुआ;
प्यार कहीं झरने से झरता है खुला हुआ,
पानी में घुला हुआ;
प्यार कहीं बहता है नदियों-सा कूल तोड़,
चलता है लाज छोड़;
रचनाकाल: संभावित १९५७
प्यार कहीं पत्थर के भीतर है जमा हुआ,
सदियों से छिपा हुआ;
प्यार कहीं झरने से झरता है खुला हुआ,
पानी में घुला हुआ;
प्यार कहीं बहता है नदियों-सा कूल तोड़,
चलता है लाज छोड़;
रचनाकाल: संभावित १९५७