Last modified on 4 जुलाई 2014, at 00:26

प्यार / शुभम श्री

गंगा का
सूरज का
फ़सलों का
फूलों का
बोलियों का अपनी
और
तुम्हारा
मोह नहीं छूटेगा
जैसा भी हो जीवन
जब तक रहेगी गन्ध तुम्हारे सीने की जेहन में
मन नहीं टूटेगा ।