प्यार उमड़ता है फिर बिखर जाता है
प्यार लेने के लिए कितना अधिक या सर्वाधिक प्यार देना होता है
और कितना अधिक झुकना होता है पिता के पास
जबकि अधिक दिनों तक रहेंगे नहीं वे
सिर्फ वह ही मिलता है उनसे बार-बार
फिर भी संतोष है पिता को
चलो इमारत का कोई कोना तो है उनके हाथ में,
यह भी संभाल लेगा बाकी लोगों को।
परिवार में थीं कितनी ही कुर्सियां
लेकिन सबसे अलग जगह पर बैठा करते थे वे
कई उनसे नजरें चुरा कर चुपचाप चले जाया करते थे
और वे इंतजार करते रह जाते थे उसके सामीप्य का
दिन पर दिन गुजरते जाएंगे इसी तरह से
उनकी विदाई के दिन तक
सारे लोग निकल चुके होंगे
दूसरे शहरों में काम पर
सिर्फ वह ही रह जाएगा इस घर में अकेला
उसी के सहारे बाकी लोग आते-जाते रहेंगे,
यही सोचकर एक विश्वास की नींद सो जाते थे वे हर रात,
इस सबसे छोटे लडक़े से मिलने के बाद।