लालच और नफरत की ऑंधी है
फोटू में गॉंधी है
और बाजार ही बाजार है.
ऐसे में वह दिन आता है
जब युद्ध जरूरी हो जाता है
नजरें बचाते हुए
कहते हैं युद्ध अब जरूरी है.
वह दिन आता है
जब एक जड़ इबारत
भावनाओं की जगह उमड़ती है
और घेर लेती है
जब एक निनादित नाम
और सामूहिक अहंकार होता है.
जब अच्छाइयॉं
बिना लड़े हारती हैं
जब कोई किसी को कुचलता
चला जाता है
और कोई ध्यान नहीं देता
तब एक दिन आता है
जब सेना के मार्च का इंतजार करते हैं
बत्तियॉं बुझा लेते हैं
और कहते हैं प्यार करते हैं.