चैत हूँ मैं
गुनगुनी में महकता
खुमानी की
एक-एक टहनी में
ख़िलती हुई तुम हो
रक्ताभ
उजली
आकंठ डूबी हुई
एक हुलस
धूप नहायी
मई 1998
चैत हूँ मैं
गुनगुनी में महकता
खुमानी की
एक-एक टहनी में
ख़िलती हुई तुम हो
रक्ताभ
उजली
आकंठ डूबी हुई
एक हुलस
धूप नहायी
मई 1998