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प्रकाश का सूरज / केदारनाथ अग्रवाल


मैं हूँ
आग का
प्रकाश का सूरज
स्वयं को प्रकाशित करता
सबको प्रकाशित करता
रोज-रोज उगता
रोज-रोज डूबता
सुबह हुई तो उदय हुआ
शाम हुई तो अस्त हुआ

रचनाकाल: ११-११-१९६७