थारै रातौ जंचै
म्हनै असमांनी रुचै
जिणसूं कांईं अपां
आवगौ इन्नरधनख बिखेर काढां
दाय पड़ता रंग छोड़, दूजा रंग पोत काढां
कदैई नैठाव सूं विचारजै
सायधण,
आ नैनीक-सी बात नीं है।
थारै रातौ जंचै
म्हनै असमांनी रुचै
जिणसूं कांईं अपां
आवगौ इन्नरधनख बिखेर काढां
दाय पड़ता रंग छोड़, दूजा रंग पोत काढां
कदैई नैठाव सूं विचारजै
सायधण,
आ नैनीक-सी बात नीं है।