Last modified on 29 नवम्बर 2019, at 00:11

प्रणय का प्रस्ताव रखने / शिवम खेरवार

प्रणय का प्रस्ताव रखने, आपको जाना पड़ेगा।
प्रेम घर लाना पड़ेगा।

दो कबूतर नेह वन में,
दूरियाँ रख उड़ रहे हैं।
तार दिल के आपसी पर,
साथ पाकर जुड़ रहे हैं।

एक होना ही यथोचित,
इस नियति ने कह दिया है।
इक मधुर-सा गीत कोई,
बाग में गाना पड़ेगा।
प्रेम घर लाना पड़ेगा।

प्रेम के आलिंगनों में,
वो लिपटते जा रहे हैं।
बात मन की चाह कर भी,
वो नहीं कह पा रहे हैं।

संकुचन के बन्ध साथी!
तोड़ने का यह समय है।
दूरियों को अब हृदय से,
दूर बैठाना पड़ेगा।
प्रेम घर लाना पड़ेगा।