राग : केदार
माँ सरस्वती सदा कृपा हम पर कीजिये,
गुरुजनोँ के प्रति विनीत होँ, आशिष हमको दीजिये !
भूल हरेक भेद ~ भाव, स्नेह से बँध कर रहेँ,
जाति ~ पाति, भेद ~भाव, दूर कर सकेँ,
प्रेम के ही पंथ पर सब के पग पडेँ
माँ सरस्वती सदा
सूर्य ~ सा प्रकाश मन मेँ , फैल कर बढे,
नित रुचिर, नित नवीन, आलोक से भरेँ,
स्वर्ग भूमि पर सदा, स्थापित हम करेँ !
माँ सरस्वती सदा.
विनय , शाँति, सौम्य द्रिष्टि, जीवन मेँ रखेँ,
हो प्रतीति विश्व की, ज्ञान दिपती से,
सर्व ~ मँगल भावना, ह्रदय मेँ बसे !