नेहरू के निःशस्त्रीकरण के दर्शन
और अनेक देशों से/शान्तिपूर्ण संधियाँ
और विश्वशांति पर दिये गये
भाषणों को सुन
मुझ पर भी प्रतिक्रिया हुई।
शान्ति की नहीं
दया, करुणा, ममता की नहीं
विश्वबधुत्व की भी नहीं
इन खोखली कसमों
और वादों से ऊब
मैंने हाथ में बन्दूक उठा ली।