जब डूब रहा था सब-कुछ
तुम अपने मज़बूत क़िले में बंद थे
जब डूब चुका है सब-कुछ
तुम्हारे चेहरे पर अफ़सोस है
तुम डूबे हुए आदमी के प्रतिनिधि हो....
जब डूब रहा था सब-कुछ
तुम अपने मज़बूत क़िले में बंद थे
जब डूब चुका है सब-कुछ
तुम्हारे चेहरे पर अफ़सोस है
तुम डूबे हुए आदमी के प्रतिनिधि हो....