सचमुच तुच्छ है जीवन
स्वतन्त्रताहीन
लघु और दीर्घ-शंकाओं तक पर
होती है पाबन्दी
हल्का होने से इन्कार कर देता है पेट
जब खुलता है फाटक
महसूस होती है हाजत तभी
जब बन्द रहे आते हैं फाटक
सचमुच तुच्छ है जीवन
स्वतन्त्रताहीन
लघु और दीर्घ-शंकाओं तक पर
होती है पाबन्दी
हल्का होने से इन्कार कर देता है पेट
जब खुलता है फाटक
महसूस होती है हाजत तभी
जब बन्द रहे आते हैं फाटक