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प्रतिमा (1) / मदन गोपाल लढ़ा


बीच चौराहे
खण्डित नाक व
लापता ऐनक के साथ
सदैव स्थिर
वह प्रतिमा
समझ रही है
एक बार फिर
जीवन की नश्वरता।