रचनाकार: ?? |
आता लबों पे नाम तेरा बार-बार क्यूँ?
है रोज़ सुबह शाम तेरा इंतज़ार क्यूँ।।
नाजुक तेरी निगाह, बड़े नाज की पली।
ऐसी भली निगाह से दिल का शिकार क्यूँ।।
मेरे क़रीब आ तू मेरे और भी क़रीब।
दो दिल न मिल सके तो हुईं आँखें चार क्यूँ।।
रचनाकार: ?? |
आता लबों पे नाम तेरा बार-बार क्यूँ?
है रोज़ सुबह शाम तेरा इंतज़ार क्यूँ।।
नाजुक तेरी निगाह, बड़े नाज की पली।
ऐसी भली निगाह से दिल का शिकार क्यूँ।।
मेरे क़रीब आ तू मेरे और भी क़रीब।
दो दिल न मिल सके तो हुईं आँखें चार क्यूँ।।