Last modified on 22 फ़रवरी 2010, at 04:07

प्रतिमा / आता लबों पे नाम तेरा

रचनाकार: ??                 

आता लबों पे नाम तेरा बार-बार क्यूँ?
है रोज़ सुबह शाम तेरा इंतज़ार क्यूँ।।

नाजुक तेरी निगाह, बड़े नाज की पली।
ऐसी भली निगाह से दिल का शिकार क्यूँ।।

मेरे क़रीब आ तू मेरे और भी क़रीब।
दो दिल न मिल सके तो हुईं आँखें चार क्यूँ।।