जड़ नहीं
मृत नहीं
ठूँठ नहीं हैं ये
जाड़ों के पत्र-विहीन वृक्ष-से हैं ये
बसन्ती हवा की
प्रतीक्षा भर है इन्हें
फिर देखो
किस उत्साह से लद-फद जाते हैं ये
देखते ही देखते बदल जाएगा सारा संसार
जड़ नहीं
मृत नहीं
ठूँठ नहीं हैं ये
जाड़ों के पत्र-विहीन वृक्ष-से हैं ये
बसन्ती हवा की
प्रतीक्षा भर है इन्हें
फिर देखो
किस उत्साह से लद-फद जाते हैं ये
देखते ही देखते बदल जाएगा सारा संसार